चौधरी चरण सिंह की जयंती और किसान दिवस के मौके पर पढ़ें उनकी पूरी कहानी | Chaudhary Charan Singh Birth Anniversary

देश की समृद्धि का रास्ता गांवों के खेतों एवं खलिहानों से होकर गुजरता है. चौधरी चरण सिंह ऐसा कहते थे. उनका कहना था कि भ्रष्टाचार की कोई सीमा नहीं है. चाहे कोई भी लीडर आ जाए, चाहे कितना ही अच्छा कार्यक्रम चलाओ, जिस देश के लोग भ्रष्ट होंगे वह देश कभी तरक्की नहीं कर सकता. 
गांव की एक ढाणी में जन्मे चौधरी चरण सिंह गांव, गरीब व किसानों के तारणहार बने. उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन गांव के गरीबों के लिए समर्पित कर दिया. इसीलिए देश के लोग मानते रहे हैं कि चौधरी चरण सिंह एक व्यक्ति नहीं, विचारधारा का नाम है.
Chaudhary Charan Singh
Chaudhary Charan Singh Birth Anniversary

स्वतंत्रता सेनानी से लेकर देश के प्रधानमंत्री तक बने चौधरी ने ही भ्रष्टाचार के खिलाफ सबसे पहले आवाज बुलंद की और आह्वान किया कि भ्रष्टाचार का अंत ही देश को आगे ले जा सकता है. वह बहुमुखी प्रतिभा के धनी और प्रगतिशील विचारधारा वाले व्यक्ति थे. 

चरण सिंह का जन्म 23 दिसंबर,1902 को गाजियाबाद जिले के नूरपुर गांव में एक जाट परिवार में हुआ था. उन्होंने स्वाधीनता आंदोलन के समय राजनीति में प्रवेश किया. उनके पिता चौधरी मीर सिंह ने अपने नैतिक मूल्य विरासत में चरण सिंह को सौंपा था. चरण सिंह के जन्म के 6 वर्ष बाद चौधरी मीर सिंह सपरिवार नूरपुर से जानी खुर्द गांव आकर बस गए थे.

आगरा विश्वविद्यालय से कानून की शिक्षा लेकर सन् 1928 में चौधरी चरण सिंह ने गाजियाबाद में वकालत शुरू की. वकालत जैसे व्यावसायिक पेशे में भी चौधरी चरण सिंह उन्हीं मुकदमों को स्वीकार करते थे, जिनमें मुवक्किल का पक्ष न्यायपूर्ण होता था. सन् 1929 में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन के 'पूर्ण स्वराज्य' उद्घोष से प्रभावित होकर युवा चरण सिंह ने गाजियाबाद में कांग्रेस कमेटी का गठन किया.

सन् 1930 में महात्मा गांधी के चलाए सविनय अवज्ञा आंदोलन में शामिल होकर उन्होंने नमक कानून तोड़ने को डांडी मार्च किया. आजादी के दीवाने चरण सिंह ने गाजियाबाद की सीमा पर बहने वाली हिंडन नदी पर नमक बनाया. इस कारण चरण सिंह को 6 माह कैद की सजा हुई. जेल से वापसी के बाद चरण सिंह ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में स्वयं को पूरी तरह से स्वतंत्रता संग्राम में समर्पित कर दिया.

सन् 1940 के व्यक्तिगत सत्याग्रह में भी चरण सिंह गिरफ्तार हुए. फिर अक्टूबर, 1941 में मुक्त किए गए. 9 अगस्त, 1942 को अगस्त क्रांति के माहौल में युवा चरण सिंह ने भूमिगत होकर गुप्त क्रांतिकारी संगठन तैयार किया. मेरठ कमिश्नरी में युवक चरण सिंह ने क्रांतिकारी साथियों के साथ मिलकर ब्रितानिया हुकूमत को बार-बार चुनौती दी. मेरठ प्रशासन ने चरण सिंह को देखते ही गोली मारने का आदेश दे रखा था.

एक तरफ पुलिस चरण सिंह की टोह लेती थी, वहीं दूसरी तरफ युवक चरण सिंह जनता के बीच सभाएं करके निकल जाता था. आखिरकार पुलिस ने एक दिन चरण सिंह को गिरफ्तार कर ही लिया. राजबंदी के रूप में डेढ़ वर्ष की सजा हुई. जेल में ही चौधरी चरण सिंह की लिखित पुस्तक शिष्टाचार, भारतीय संस्कृति और समाज के शिष्टाचार के नियमों का एक बहुमूल्य दस्तावेज है.


राष्ट्रीय किसान दिवस
चौधरी चरण सिंह किसानों के नेता माने जाते रहे हैं. उनके द्वारा तैयार किया गया जमींदारी उन्मूलन विधेयक राज्य के कल्याणकारी सिद्धांत पर आधारित था. एक जुलाई, 1952 को उत्तर प्रदेश में उनके बदौलत जमींदारी प्रथा का उन्मूलन हुआ और गरीबों को अधिकार मिला.

किसानों के हित में उन्होंने 1954 में उत्तर प्रदेश भूमि संरक्षण कानून को पारित कराया. कांग्रेस में उनकी छवि एक कुशल नेता के रूप में स्थापित हुई. देश की आजादी के बाद वह राष्ट्रीय स्तर के नेता तो नहीं बन सके, लेकिन राज्य विधानसभा में उनका प्रभाव स्पष्ट महसूस किया जाता था. आजादी के बाद 1952, 1962 और 1967 में हुए चुनावों में चौधरी चरण सिंह राज्य विधानसभा के लिए फिर चुने गए.

चौधरी चरण सिंह का राजनीतिक भविष्य सन् 1951 में बनना शुरू हो गया था, जब इन्हें उत्तर प्रदेश में कैबिनेट मंत्री का पद प्राप्त हुआ. उन्होंने न्याय एवं सूचना विभाग संभाला. सन् 1952 में डॉ. संपूर्णानंद के मुख्यमंत्रित्व काल में उन्हें राजस्व तथा कृषि विभाग का दायित्व मिला. वह जमीन से जुड़े नेता थे और कृषि विभाग उन्हें विशिष्ट रूप से पसंद था. चरण सिंह स्वभाव से भी कृषक थे. वह कृषक हितों के लिए अनवरत प्रयास करते रहे.

सन् 1960 में चंद्रभानु गुप्ता की सरकार में उन्हें गृह तथा कृषि मंत्रालय दिया गया. वह उत्तर प्रदेश की जनता के बीच अत्यंत लोकप्रिय थे, इसीलिए प्रदेश सरकार में योग्यता एवं अनुभव के कारण उन्हें ऊंचा मुकाम हासिल हुआ.

उत्तर प्रदेश के किसान चरण सिंह को अपना मसीहा मानने लगे थे. उन्होंने कृषकों के कल्याण के लिए काफी कार्य किए. समस्त उत्तर प्रदेश में भ्रमण करते हुए कृषकों की समस्याओं का समाधान करने का प्रयास किया. उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में कृषि मुख्य व्यवसाय था. कृषकों में सम्मान होने के कारण इन्हें किसी भी चुनाव में हार का मुंह नहीं देखना पड़ा. 

चरण सिंह की ईमानदाराना कोशिशों की सदैव सराहना हुई. वह लोगों के लिए एक राजनीतिज्ञ से ज्यादा सामाजिक कार्यकर्ता थे. उन्हें भाषणकला में भी महारत हासिल थी. यही कारण था कि उनकी जनसभाओं में भारी भीड़ जुटा करती थी.

चौधरी साहब 3 अप्रैल, 1967 में पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे. तब उनकी निर्णायक प्रशासनिक क्षमता की धमक और जनता का उन पर भरोसा ही था कि सन् 1967 में पूरे देश दंगे होने के बावजूद उत्तर प्रदेश में कहीं पत्ता भी नहीं खड़का. 17 अप्रैल, 1968 को उन्होंने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया. मध्यावधि चुनाव में उन्होंने अच्छी सफलता मिली और दोबारा 17 फरवरी, 1970 को वह मुख्यमंत्री बने. उन्होंने अपने सिद्धांतों व मर्यादित आचरण से कभी समझौता नहीं किया.

सन् 1977 में चुनाव के बाद जब केंद्र में जनता पार्टी सत्ता में आई तो किंग मेकर जयप्रकाश नारायण के सहयोग से मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने और चरण सिंह को देश का गृहमंत्री बनाया गया. केंद्र सरकार में गृहमंत्री बने तो उन्होंने मंडल व अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना की.

सन् 1979 में वित्तमंत्री और उपप्रधानमंत्री के रूप में चोधरी साहब ने राष्ट्रीय कृषि व ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) की स्थापना की. बाद में मोरारजी देसाई और चरण सिंह के बीच मतभेद हो गया. 28 जुलाई, 1979 को चौधरी चरण सिंह समाजवादी पार्टियों तथा कांग्रेस (यू) के सहयोग से भारत के पांचवें प्रधानमंत्री बने. चौधरी चरण सिंह का प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल 28 जुलाई, 1979 से 14 जनवरी, 1980 तक रहा.

चौधरी चरण सिंह एक कुशल लेखक भी थे. उनका अंग्रेजी भाषा पर अच्छा अधिकार था. उन्होंने 'अबॉलिशन ऑफ जमींदारी', 'लिजेंड प्रोपराइटरशिप' और 'इंडियाज पोवर्टी एंड इट्स सोल्यूशंस' नामक पुस्तकों का लेखन भी किया. उनमें देश के प्रति वफादारी का भाव था.

स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद गांधी टोपी को कई बड़े नेताओं ने त्याग दिया था, लेकिन चौधरी चरण सिंह इसे जीवन र्पयत धारण किए रहे. देश के इतिहास में उनका नाम प्रधानमंत्री से ज्यादा एक किसान नेता के रूप में जाना जाता है. 

वर्ष 2001 में केंद्र की अटल बिहारी बाजपेयी सरकार द्वारा किसान दिवस की घोषणा की गई, जिसके लिए चौधरी चरण सिंह जयंती से अच्छा मौका नहीं था. उनके किए कार्यो को ध्यान में रखते हुए 23 दिसंबर को भारतीय किसान दिवस की घोषणा की गई. तभी से देश में प्रतिवर्ष किसान दिवस के रूप में मनाया जाता है. 29 मई, 1987 को 84 वर्ष की उम्र में जनमानस का यह नेता इस दुनिया को छोड़कर चला गया.

इनपुट - आईएएनएस

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श्रीनिवास रामानुजन का जीवन परिचय | Srinivasa Ramanujan Biography

श्री निवास रामानुजन एक महान भारतीय गणितज्ञ है। जिन्होंने गणितीय विश्लेषण, संख्याओं के सिद्धांत, अनंत श्रृंखला और निरंतर टुकड़ों में बहुत योगदान दिया है।उन्होंने न केवल गणित में अद्भुत प्रतिभाओं का आविष्कार किया, बल्कि उन्होंने अपनी प्रतिभा और जुनून के लिए भारत में अभूतपूर्व गर्व भी किया।
श्रीनिवास रामानुजन का जीवन परिचय | Srinivasa Ramanujan Biography, Education, Work Details in Hindi


रामानुजन का जन्म और परिवार (Ramanujan Birth and Family)

रामानुजन का जन्म 22 दिसम्बर 1887 में तमिलनाडु के इरोड में एक रूढ़िवादी अयंगर ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम श्रीनिवास अय्यंगर था जो कि स्थानीय कपडे की दुकान में मुनीम थे. इनकी माता जी का नाम कोमल तम्मल था. जो एक गृहिणी महिला थी. जब रामानुजन एक वर्ष के हुए थे तभी उनका परिवार कुम्भकोणम में आकर बस गया. 22 वर्ष की उम्र में रामानुजन का विवाह उनसे 10 साल छोटी जानकी से हुआ.

रामानुजन की शिक्षा (Ramanujan Education)

11 साल की उम्र में, रामानुजन ने अविश्वसनीय प्रतिभा के लक्षण दिखाना शुरू किया। 12 साल की उम्र में, उन्होंने त्रिकोणमिति में महारत हासिल की और बिना किसी मदद के अकेले कई प्रमेयों को विकसित किया।

गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन अपने छोटे जीवन के दौरान, रामानुजन ने लगभग 3,900 परिणामों (मुख्य रूप से पहचान और समीकरण) को स्वतंत्र रूप से संकलित किया। कई पूरी तरह से उपन्यास थे; उनके मूल और अपरंपरागत परिणाम, जैसे कि रामानुजन प्राइम, रामानुजन थीटा फंक्शन, स्प्लिट थ्योरी और फेक थीटा फंक्शंस ने काम के नए क्षेत्रों को खोल दिया है और कई अन्य शोधों को प्रेरित किया है।

रामानुजन का गणित में योगदान 

वे बचपन की विलक्षण प्रतिभाएँ थीं। उन्होंने अपने दम पर गणित सीखा और जीवन भर 3,884 गणितीय प्रमेयों का विकास किया। इनमें से अधिकांश प्रमेय सही साबित हुए हैं। इसने गणित के सहज ज्ञान और बीजीय रचना की अनूठी प्रतिभा पर कई मौलिक और अपरंपरागत परिणाम प्रदान किए हैं
  •  1911 में, रामानुजन ने इंडियन मैथमेटिकल सोसायटी की पत्रिका में अपना पहला लेख प्रकाशित किया। रामानुजन की प्रतिभा को धीरे-धीरे पहचाना गया  
  • 1913 में उन्होंने ब्रिटिश गणितज्ञ गॉडफ्रे एच को प्राप्त किया। उन्होंने हार्डी के साथ एक पत्राचार शुरू किया, जिसके लिए उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से एक विशेष छात्रवृत्ति और ट्रिनिटी स्कूल कैंब्रिज से छात्रवृत्ति प्राप्त की। 
  • रामानुजन 1914 में इंग्लैंड गए, जहाँ हार्डी ने उन्हें पढ़ाया और शोध में उनका सहयोग किया। उन्होंने अपने रीमैन श्रृंखला के कार्यात्मक समीकरणों, दीर्घवृत्तीय अभिन्नताओं, हाइपरजोमेट्रिक श्रृंखला, जेटा कार्यों और विचलन की श्रृंखला के अपने सिद्धांत पर काम किया है।
  • रामानुजन ने हार्डी और लिटिलवुड की मदद से कैम्ब्रिज में लगभग पांच साल बिताए और अपने कुछ निष्कर्ष प्रकाशित किए।
 
उपाधि (Degree)
Srinivasa Ramanujan Biography
रामानुजन ने अत्यधिक एकीकृत नंबरों में अपने काम के लिए 1 मार्च, 1916 को बैचलर ऑफ साइंस की डिग्री प्राप्त की (इस उपाधि को बाद में पीएचडी नाम दिया गया), जिसका पहला भाग लंदन मैथेमेटिकल सोसायटी की कार्यवाही में एक लेख के रूप में प्रकाशित हुआ था।
  • राष्ट्रीय गणित दिवस: रामानुजन जन्म की 125 वीं वर्षगांठ के अवसर पर, भारत सरकार ने घोषणा की कि प्रत्येक वर्ष के 22 दिसंबर को National Mathematics Day के रूप में मनाया जाएगा। 
  • भारतीय प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह ने भी घोषणा की कि 2012 को राष्ट्रीय गणित वर्ष (National Mathematics Day) के रूप में मनाया जाएगा।
रामानुजन की मृत्यु ( Death of Ramanujan)
26 अप्रैल1920 के प्रातः काल में वे अचेत हो गए और दोपहर होते होते उन्होने प्राण त्याग दिए। इस समय रामानुजन की आयु मात्र 33 वर्ष थी। इनका असमय निधन गणित जगत के लिए अपूरणीय क्षति था। पूरे देश विदेश में जिसने भी रामानुजन की मृत्यु का समाचार सुना वहीं स्तब्ध हो गया।

Question & Answer
श्री निवास जी का पूरा नाम क्या हैं 
श्री निवास जी का पूरा नाम श्रीनिवास अयंगर रामानुजन् हैं
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चार्ल्स-मिशेल बधिरों के जनक को समर्पित है | charles michel is dedicated to the father of the deaf.

चार्ल्स-मिशेल डुलिपी के 360 वें जन्मदिवस पर गूगल ने उनके सम्मान में डूडल बनाया हैं उन्होंने इशारों में बातचीत के महत्व को समझा और बधिरों (कान से न सुनने बालो) लोगों के लिए अलग से वर्णमाला बना दी। उनका मानना था कि आम लोग जो बात कानों से सीखते या समझते हैं। बधिरों लोगों को अपनी आंखों से सीखना चाहिए।
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गूगल ने आज के डूडल को Charles Michel de l'épée के नाम किया है। इन्हें उन लोगों को सुन ना सकने वाले लोगों का मसीहा कहा जाता है। Charles Michèle नें ही सांकेतिक वर्णमाला के जनक थे। जिनका ये अविष्कार बधिर लोगों के लिए वरदान बन गयाा। इन चिन्ह प्रणाली या इशारों वाली भाषा में इतनी क्षमता होती है कि हम अपनी पूरी बात किसी ना सुन पाने वाले से कह सकते हैं। चार्ल्स के 306वें बर्थडे पर गूगल ने डूडल बनाया है। 

फ्रांस वार्सलिन में हुआ था जन्म

चार्ल्स मिशेल का जन्म 24 नवंबर 1712 को फ्रांस के वर्सालिस में हुआ था। उन्होंने हमेशा ही मानवता के लिए काम किया। उन्होंने फ्रांस में बहरें (कान से न सुनने बालो)  लोगों के लिए दुनिया का पहला स्कूल खोला और पूरा जीवन ना सुन पा लेने वाले लोगों के जीवन को सुधारने में लगा दिया।
 चार्ल्स ने ही सबसे पहली चिन्ह प्रणाली या भाषा का निर्माण किया। चार्ल्स ने बहरे लोगों के लिए जो कृत्रिम भाषा बनाई उसे फ्रांस की चिन्ह भाषा भी कहा जाता है। 

कैथोलिक पादरी के लिए थी पढ़ाई

चार्ल्स का जन्म बहुत धनी परिवार में हुआ था। इनके पिता फ्रांस के पास वास्तुकार का कार्य करते थे। चार्ल्स प्रारम्भ में कैथोलिक पादरी के लिए पढ़ाई की थी। मगर हमेशा से ही वो इंसानियत के लिए काम करना चाहते थे। बताया जाता है कि एक बार उन्होंने दो बहरी बहनों को आपस में बात करते देखा जिसके बाद उन्होंने सांकेतिक भाषा को बनाया ताकि दो ना सुन पाने वाले लोग भी बात कर सकें। 




1760 में खोला दुनिया का पहला 


बधिरों व्यक्तियों का स्कूल

चार्ल्स ने 1760 में बधिरों व्यक्तियों के लिए स्कूल खोल दिया। उन्होंने कहा, 'मैंने खुद को समर्पित कर दिया है। यह अमीरों के लिए नहीं बल्कि पूर्ण रूप से गरीबों के लिए है।' नका मानना था कि इनकी भाषा अलग होनी चाहिए और ना सुनने वालों को भी शिक्षा का पूरा मिलना चाहिए। यही कारण है कि चार्ल्स को बधिर लोगों के जनक कहा जाता है। 

उनके कामों के लिए फ्रांस की संसद ने उन्हें Benefactor of Humanity (मानवता के हितकारी) के रुप में पहचान दी। इसके अलावा फ्रांस में लोगों के मूल अधिकारों के कानून में बधिर लोगों के अधिकारों को भी शामिल किया।  

77 साल की उम्र में 23 दिसंबर 1789 को पेरिस में उनका निधन हो गया। 

उनके पिता एक धर्मशास्त्री थे जिन्होंने धर्मशास्त्र के क्षेत्र में काफी काम किया। आज का गूगल डूडल  एक एनिमेटेड डूडल है। 


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धनतेरस से जुड़ी बाते जो आपको नहीं पता होगी

यह त्यौहार भारत के लगभग सभी प्रान्तों में अत्यंत हर्षोल्लास के साथ कार्तिक मास की अमावस्या पर, तीन दिनों तक मनाया जाता है. अमावस्या से दो दिन पहले, त्रयोदशी ‘धनतेरस’ के रूप में मनाई जाती है. घरों में स्वच्छता एवं साफ़–सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाता है. दरअसल, इस दिन भगवान् धन्वन्तरी जी प्रकट हुए थे, जो सबको अच्छी सेहत देते हैं लेकिन अब यह दिन कोई न कोई नया बर्तन, सोना, चांदी आदि खरीदने के रूप में प्रसिद्द हो गया है.
धनतेरस
प्रथा 
धन्वन्तरि जब प्रकट होता है तो उनके हाथो में अमृत से भर कलश था | भगवन धन्वन्तरि चूंकि कलश ले कर प्रकट हुआ थे इसलिए ही इस अवसर पर लोग बर्तन खरीदने की परम्परा है। कहीं कहीं लोकमान्यता के अनुसार यह भी कहा जाता है कि इस दिन धन (वस्तु) खरीदने से उसमें तेरह गुणा वृद्धि होती है। इस अवसर पर लोग धनिया के बीज खरीद कर भी घर में रखते हैं। दीपावली के बाद इन बीजों को लोग अपने बाग-बगीचों में या खेतों में बोते हैं।


धनतेरस के दिन चांदी खरीदने की भी प्रथा है; जिसके सम्भव न हो पाने पर लोग चांदी के बने बर्तन खरीदते हैं। इसके पीछे यह कारण माना जाता है कि यह चन्द्रमा का प्रतीक है जो शीतलता प्रदान करता है और मन में संतोष रूपी धन का वास होता है। संतोष को सबसे बड़ा धन कहा गया है। जिसके पास संतोष है वह स्वस्थ है सुखी है और वही सबसे धनवान है। भगवान धन्वन्तरि जो चिकित्सा के देवता भी हैं उनसे स्वास्थ्य और सेहत की कामना के लिए संतोष रूपी धन से बड़ा कोई धन नहीं है। लोग इस दिन ही दीपावली की रात लक्ष्मी गणेश की पूजा हेतु मूर्ति भी खरीदते हैं।

कथा 
धनतेरस की शाम घर के बाहर मुख्य द्वार पर और आंगन में दीप जलाने की प्रथा भी है। इस प्रथा के पीछे एक लोक कथा है, कथा के अनुसार किसी समय में एक राजा थे जिनका नाम हेम था। दैव कृपा से उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। ज्योंतिषियों ने जब बालक की कुण्डली बनाई तो पता चला कि बालक का विवाह जिस दिन होगा उसके ठीक चार दिन के बाद वह मृत्यु को प्राप्त होगा।
राजा इस बात को जानकर बहुत दुखी हुआ और राजकुमार को ऐसी जगह पर भेज दिया जहां किसी स्त्री की परछाई भी न पड़े। दैवयोग से एक दिन एक राजकुमारी उधर से गुजरी और दोनों एक दूसरे को देखकर मोहित हो गये और उन्होंने गन्धर्व विवाह कर लिया।

विवाह के पश्चात विधि का विधान सामने आया और विवाह के चार दिन बाद यमदूत उस राजकुमार के प्राण लेने आ पहुंचे। जब यमदूत राजकुमार प्राण ले जा रहे थे उस वक्त नवविवाहिता उसकी पत्नी का विलाप सुनकर उनका हृदय भी द्रवित हो उठा परंतु विधि के अनुसार उन्हें अपना कार्य करना पड़ा। 
यमराज को जब यमदूत यह कह रहे थे उसी वक्त उनमें से एक ने यम देवता से विनती की हे यमराज क्या कोई ऐसा उपाय नहीं है जिससे मनुष्य अकाल मृत्यु से मुक्त हो जाए। दूत के इस प्रकार अनुरोध करने से यम देवता बोले हे दूत अकाल मृत्यु तो कर्म की गति है इससे मुक्ति का एक आसान तरीका मैं तुम्हें बताता हूं सो सुनो। 
कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी रात जो प्राणी मेरे नाम से पूजन करके दीप माला दक्षिण दिशा की ओर भेट करता है उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। यही कारण है कि लोग इस दिन घर से बाहर दक्षिण दिशा की ओर दीप जलाकर रखते हैं।
धनतेरस पर सभी महिलाओं को रजत लेख की अपनी पसंद खरीदने के लिए गहने या चांदी की दुकानों पर खरीदारी करना व्यस्त हो जाता है। लेकिन बहुत व्यस्त कार्यक्रमों और काम के कारण कई महिलाओं को अपने पसंदीदा आइटम की खरीदारी करने के लिए समय की स्वतंत्रता नहीं है। इसलिए उनके लिए ऑनलाइन खरीदारी की अग्रिम तकनीक का विकल्प उनकी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए धनतेरस के लिए शुद्ध रजत लेखों की पेशकश करते हैं। और कई बार 21 वीं शताब्दी की महिलाओं की मदद करने के लिए अपने समय की सुविधा और धनतेरस और दिवाली का आनंद लेने वाले कार्य क्षेत्रों का आनंद उठाया जा सकता है।

चिकित्सक

धन्वन्तरि देवताओं के चिकित्सक हैं और चिकित्सा के देवता माने जाते हैं इसलिए चिकित्सकों के लिए धनतेरस का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। धनतेरस के सन्दर्भ में एक लोक कथा प्रचलित है कि एक बार यमराज ने यमदूतों से पूछा कि प्राणियों को मृत्यु की गोद में सुलाते समय तुम्हारे मन में कभी दया का भाव नहीं आता क्या।

 दूतों ने यमदेवता के भय से पहले तो कहा कि वह अपना कर्तव्य निभाते है और उनकी आज्ञा का पालन करते हें परन्तु जब यमदेवता ने दूतों के मन का भय दूर कर दिया तो उन्होंने कहा कि एक बार राजा हेमा के ब्रह्मचारी पुत्र का प्राण लेते समय उसकी नवविवाहिता पत्नी का विलाप सुनकर हमारा हृदय भी पसीज गया लेकिन विधि के विधान के अनुसार हम चाह कर भी कुछ न कर सके।

एक दूत ने बातों ही बातों में तब यमराज से प्रश्न किया कि अकाल मृत्यु से बचने का कोई उपाय है क्या। इस प्रश्न का उत्तर देते हुए यम देवता ने कहा कि जो प्राणी धनतेरस की शाम यम के नाम पर दक्षिण दिशा में दीया जलाकर रखता है उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती है। इस मान्यता के अनुसार धनतेरस की शाम लोग आँगन में यम देवता के नाम पर दीप जलाकर रखते हैं। इस दिन लोग यम देवता के नाम पर व्रत भी रखते हैं।

धनतेरस के दिन दीप जलाकर भगवान धन्वन्तरि की पूजा करें। भगवान धन्वन्तरि से स्वास्थ और सेहतमंद बनाये रखने हेतु प्रार्थना करें। चांदी का कोई बर्तन या लक्ष्मी गणेश अंकित चांदी का सिक्का खरीदें। नया बर्तन खरीदें जिसमें दीपावली की रात भगवान श्री गणेश व देवी लक्ष्मी के लिए भोग चढ़ाएं।
कहा जाता है कि समुद्र मन्थन के दौरान भगवान धन्वन्तरि और मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था, यही वजह है कि धनतेरस को भगवान धनवंतरी और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है । धनतेरस दिवाली के दो दिन पहले मनाया जाता है

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इलोन मस्क का जीवन परिचय | Elon Musk of Biography in Hindi

एलोन मस्क का  जन्म 27 जून, 1971 को दक्षिण अफ़्रीका के प्रिटोरिया में हुआ था  Elon Musk एक व्यापारी, निवेशक, इंजीनियर, और आविष्कारक हैं उनके पिता एरोल मस्क एक इंजीनियर थे |
ऐलान मस्क ने अपना बचपन दक्षिण अफ्रीका में बिताया 9 साल की उम्र, उन्हें अपना पर्सनल कंप्यूटर मिला, इससे एलोन को प्रोग्रामिंग में दिलचस्पी मिली और एलोन ने इस स्वंय सीखना  शुरू कर दिया
12 साल के उम्र, उन्होंने अपनी पहली कंप्यूटर गेम बलस्टर  ब्लास्टर बनाई जिस बचेकर उन्होंने 500 डॉलर कमाए  
 Elon Musk of Biography in Hindi
 जिस तरह एक Success फूल इंसान की ज़िन्दगी में कुछ ऐसी घटनाएँ घटती है जो भविष्य में उसके लिए मिल का पत्थर साबित होती है, ऐसे ही कुछ घटनाएँ मस्क/ Elon Musk के जीवन में भी घटी जिसके बाद उन्हें सफलता की दिशा प्राप्त हुई।


सबसे पहली  घटना थी 17 साल की उम्र में घर छोड़ने का फैसला था। प्रिटोरिया में हाईस्कूल से स्नातक होने के बाद, उन्होंने अपने माता-पिता के समर्थन के बिना घर जाने का फैसला किया और संयुक्त राज्य अमेरिका जाने का फैसला किया, लेकिन तुरंत संयुक्त राज्य अमेरिका नहीं जा सकते थे ।
1989  ने एलन / Elon Musk  अपनी मां के रिश्तेदारों के पास कनाडा चले गए, कनाडा की नागरिकता प्राप्त करने के बाद, एलन मॉन्ट्रियल गए. पैसो की कमी के कारण उन्होंने कम वेतन पर काम करना शुरू कर दिया.  19 साल की उम्र में,ओंटारियो में क्वींस यूनिवर्सिटी (Queen's University) में प्रवेश किया।

मस्क / एलन मस्क ने ओन्टारियो में दो साल तक अध्ययन किया और आखिरकार उनका सपना सच हो गया।1992 में, वह संयुक्त राज्य अमेरिका चले गए।


उसके बाद एक समय ऐसा भी आया जब एलन मस्क/ Elon Musk ने किशोर अवस्था में  डिप्रेशन  से जूझना शुरू कर दिया. तब उन्होंने दार्शनिक और धार्मिक साहित्य को सक्रिय रूप से समझना शुरू कर दिया। लेकिन सबसे मूल्यवान सबक उन्होंने डगलस एडम्स की किताब द हिचहाइकर गाइड टू दी गैलेक्सी से सीखा।
रहस्यवादी ने सबसे कठिन वास्तविक समस्याओं के साथ अपनी स्थिति सीखी और महसूस किया कि वह दिन था जब उसने इसे करना शुरू किया था, और हर किसी ने उसे उसके लिए आसान बना दिया।
मस्क ने सीखा कि सबसे मुश्किल चीज सही सवालों के साथ अपने आपको पेश करना है  और जिस दिन उसने ऐसा करना शुरू किया, बाकी सब उन्हें आसानी से प्राप्त होने लगा.

जब मैं कॉलेज में था, मैं उन चीजों में शामिल होना चाहता था जो दुनिया को बदल सके  – एलोन मस्क

इलोन मस्क के 30 बेस्ट इंस्पायरिंग थॉट्स
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इलोन मस्क के 30 बेस्ट इंस्पायरिंग थॉट्स | Best 30 Elon Musk Inspiring Thoughts in Hindi

Quote 1: a Failure is an option here. If things are not failing, you are not innovating enough.

In Hindi: यहाँ फेलियर एक विकल्प है. अगर चीजें फेल नहीं हो रहे हैं, तो आप उतना इनोवेट नहीं कर रहे हैं.
 Best 30 Elon Musk Inspiring Thoughts in Hindi
Quote 2: If something is important enough, even if the odds are against you, you should still do it.

In Hindi: : अगर कुछ बेहद ज़रूरी है, तो भले चीजें आपके खिलाफ हों, फिर भी आपको वो करना चाहिए.

Quote 3: Going from PayPal, I thought: ‘Well, what are some of the other problems that are likely to most affect the future of humanity?’ Not from the perspective, ‘What’s the best way to make money?

In Hindi: : पे-पाल से जाते वक़्त, मैंने सोचा: ‘ अच्छा! और कौन सी समस्याएं हैं जिनकी मानवता के भविष्य को प्रभावित करने की सबसे अधिक सम्भावना है?’ मैंने इस नज़रिए से नहीं सोचा कि, ‘पैसा बनाने का सबसे अच्छा तरीका क्या है?

Quote 4: The first step is to establish that something is possible; then probability will occur.

In Hindi: : पहला कदम ये स्थित करना है कि कोई चीज संभव है; उसके संभावना घटित होगी.

Quote 5: You want to be extra rigorous about making the best possible thing you can. Find everything that’s wrong with it and fix it. Seek negative feedback, particularly from friends.

आप जो सबसे अच्छी चीज बना सकते हैं उसे बनाने को लेकर अधिक कठोर होना चाहते हैं. उसमे वो हर एक चीज खोजिये जो गलत है और उसे ठीक करिए. नेगटिव फीडबैक लीजिये, खासकर मित्रों से.

Quote 6: It’s OK to have your eggs in one basket as long as you control what happens to that basket.

In Hindi: : एक ही टोकरी में सारे अंडे रखना ठीक है जब तक की आप ये कंट्रोल कर सकें कि टोकरी का क्या होता है.

Quote 7: Persistence is very important. You should not give up unless you are forced to give up.
In Hindi: : दृढ़ता बहुत ज़रूरी है. आपको तब तक हार नहीं माननी चाहिए जबतक की आपको हार मानने के लिए मजबूर ना किया जाए.

Quote 8:  People work better when they know what the goal is and why. It is important that people look forward to coming to work in the morning and enjoy working.

In Hindi: : लोग तब बेहतर काम करते हैं जब वे जानते हैं कि लक्ष्य क्या और क्यों है. ये ज़रूरी है कि लोग सुबह काम पे आने के बारे में सोचें और अपना काम एन्जॉय करें.

Quote 9: You want to have a future where you’re expecting things to be better, not one where you’re expecting things to be worse.

In Hindi:: आप ऐसा भविष्य चाहते हैं जहाँ आप चीजों के बेहतर होने की उम्मीद करते हैं, ऐसा नहीं जहाँ आप चीजों के बदतर होने की उम्मीद करते हैं.

Quote 10: It is a mistake to hire huge numbers of people to get a complicated job done. Numbers will never compensate for talent in getting the right answer (two people who don’t know something are no better than one), will tend to slow down progress, and will make the task incredibly expensive.

In Hindi: : कोई जटिल काम करने के लिए ढेर सारे लोगों की भर्ती करना एक गलती है. संख्या कभी भी सही जवाब पाने में टैलेंट की कमी नहीं पूरी कर पाएगी ( दो लोग जो कुछ नहीं जानते हैं वो एक से बेहतर नहीं हैं), ये प्रोग्रेस को धीमा कर देगा, और काम को आश्चर्यजनकरूप से महंगा कर देगा.


Quote 11: You have to be pretty driven to make it happen. Otherwise, you will just make yourself miserable.

In Hindi: : कुछ कर गुजरने के लिए आपको काफी प्रेरित होना होगा. अन्यथा, आप बस खुद को दुखी कर लेंगे.


Quote 12: Work like hell. I mean you just have to put in 80 to 100 hour weeks every week. [This] improves the odds of success. If other people are putting in 40 hour work weeks and you’re putting in 100 hour work weeks, then even if you’re doing the same thing you know that… you will achieve in 4 months what it takes them a year to achieve.

In Hindi: : जमकर काम करो. मेरा मतलब है कि आपको बस हर हफ्ते 80 से 100 घंटे काम करना है. ये आपकी सफलता के मौके बढ़ा देता है. अगर बाकी लोग हफ्ते में 40 घंटे काम कर रहे हैं और आप 100 घंटे तो अगर आप वही चीजें करते हैं तो भी आप जानते हैं कि जो चीजें हासिल करने में वे १ साल लगायेंगे आप उन्हें ४ महीने में हासिल कर लेंगे.


Quote 13: If you go back a few hundred years, what we take for granted today would seem like magic – being able to talk to people over long distances, to transmit images, flying, accessing vast amounts of data like an oracle. These are all things that would have been considered magic a few hundred years ago.

In Hindi: : अगर आप कुछ सौ साल पीछे जाएं, तो जिन चीजों को आज हम महत्त्व नहीं देते हैं वो तब जादू जैसी प्रतीत होतीं- लम्बी दूरी पर लोगों से बात कर पाना, तसवीरें भेज पाना, उड़ते हुए, ओरेकल की तरह बहुत सारे डेटा को एक्सेस करते हुए. ये सब वो चीजें हैं जिन्हें कुछ सौ साल पहले जादू माना जाता.


Quote 14: Starting and growing a business is as much about the innovation, drive and determination of the people who do it as it is about the product they sell.

In Hindi: : बिजनेस शुरू करना और उसे ग्रो करना उतना ही उसे करने वाले लोगों की इन्नोवेशन, ड्राइव और डिटरर्मिनेशन के बारे में है जितना कि जो वो प्रोडक्ट बेचते हैं उसके बारे में है.


Quote 15: My biggest mistake is probably weighing too much on someone’s talent and not someone’s personality. I think it matters whether someone has a good heart.

In Hindi: : मेरी सबसे बड़ी गलती शायद किसी के व्यक्तित्व की बजाय उसकी प्रतिभा को कहीं अधिक महत्त्व देना है. मेरा मानना है कि ये मायने रखता है कि किसी का दिल अच्छा है.


Best Elon Musk Motivational Thoughts in Hindi
Best Elon Musk Motivational Thoughts in Hindi

Quote 16: Let’s think beyond the normal stuff and have an environment where that sort of thinking is encouraged and rewarded and where it’s okay to fail as well.

In Hindi: : चलिए आम चीजों से हट कर सोचें और एक ऐसा वातावरण बनाएं जहाँ इस तरह की सोच को प्रोत्साहन मिले और उसे पुरस्कृत किया जाए और जहाँ फेल होना भी ठीक हो.


Quote 17: Really, the only thing that makes sense is to strive for greater collective enlightenment.

In Hindi: : वास्तव में, केवल एक चीज जिसका कोई अर्थ है वो है बड़े सामूहिक ज्ञान के लिए प्रयास करना.


Quote 18: Patience is a virtue, and I’m learning patience. It’s a tough lesson.

In Hindi: : धैर्य एक गुण है, और मैं धैर्य सीख रहा हूं. यह एक कठिन सबक है.



Quote 19: When I was in college, I wanted to be involved in things that would change the world. Now I am.

In Hindi: : जब मैं कॉलेज में था, मैं उन चीजों में शामिल होना चाहता था जो दुनिया को बदल दें. और अब मैं हो रहा हूँ.

Quote 20: If you’re trying to create a company, it’s like baking a cake. You have to have all the ingredients in the right proportion.

In Hindi: : यदि आप एक कम्पनी बनाने का प्रयास कर रहे हैं, तो ये एक केक बनाने की तरह है. आपको सभी सामग्री सही मात्र में डालनी होगी.

Quote 21: I think it’s very important to have a feedback loop, where you’re constantly thinking about what you’ve done and how you could be doing it better. I think it's the single best piece of advice: constantly think about how you could be doing things better and questioning yourself.

In Hindi: : मुझे लगता है कि एक फीडबैक लूप का होना बहुत ज़रूरी है, जहाँ आप लगातार सोचते हैं कि आपने क्या किया है और आप उसे और अच्छे ढंग से कैसे कर सकते हैं. मेरा मानना है कि ये एक सबसे अच्छी सलाह है: लगातार सोचो कि तुम चीजों को बेहतर ढंग से कैसे सकते हो और खुद से सवाल करो.


Quote 22: I wouldn’t say I have a lack of fear. In fact, I’d like my fear emotion to be less because it’s very distracting and fries my nervous system.

In Hindi: : मैं ये नहीं कहूँगा कि मुझ मे डर की कमी है. वास्तव मे, मैं चाहूँगा कि मेरे अन्दर डर की भावना कम हो क्योंकि ये बहुत विचलित करने वाला है और मेरे नर्वस सिस्टम को फ्राई कर देता है.


Quote 23: My motivation for all my companies has been to be involved in something that I thought would have a significant impact on the world.

In Hindi: : मेरी सभी कंपनियों के लिए मेरा मोटिवेशन ऐसी किसी चीज में शामिल होने का रहा है जो दुनिया पर सार्थक असर डाले.

Quote 24: Life is too short for long-term grudges.

In Hindi: : लम्बे समय तक नाराज़ रहने के लिए ज़िन्दगी बहुत छोटी है.

                                                                                                                            

Quote 25: I think it is possible for ordinary people to choose to be extraordinary.


In Hindi: :  मुझे लगता है कि साधारण लोगों के लिए असाधारण होने का चयन करना संभव है.


Quote 26: I think life on Earth must be about more than just solving problems… It’s got to be something inspiring, even if it is vicarious.

In Hindi: : मेरा मानना है कि पृथ्वी पर जीवन सिर्फ समस्याएं सुलझाने से बढ़कर होना चाहिए… ये कुछ इंस्पायरिंग होना चाहिए, तब भी जबकि वो विकृत हो.


Quote 27: As a child, I would just question things…

In Hindi: : एक बच्चे के रूप में मैं बस सवाल पूछता….

Quote 28: Don’t be afraid of new arenas.

In Hindi: : नयी रणभूमि से डरो मत.



Quote 29: You shouldn’t do things differently just because they’re different. They need to be… better.

In Hindi: :आपको चीजों को बस इसलिए नही करना चाहिए क्योंकि वे अलग हैं. उनका बेहतर होना भी ज़रूरी है.



Quote 30: I could either watch it happen or be a part of it.

In Hindi: : या तो मैं इसे होते हुए देख सकता हूँ या इसका हिस्सा बन सकता हूँ.


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आर्य समाज के 10 सिद्धांत | 10 Principles of arya samaj

आर्य समाज उन्नीसवीं शताब्दी का भारतीय इतिहास और साहित्य में महत्त्वपूर्ण स्थान है। इतना व्यापक और सूक्ष्म परिवर्तन मध्ययुग में इस्लाम धर्म के सम्पर्क के फलस्वरूप भी न हुआ था। एक ओर तो भारतवर्ष उन्नीसवीं शताब्दी में एक सुदूर स्थित पाश्चात्य जाति का दास बना और दूसरी ओर पाश्चात्य ज्ञान-विज्ञान तथा वैज्ञानिक आविष्कारों से लाभ उठाकर उसने नवीन चेतना प्राप्त की और मध्ययुगीन एवं अनेक पौराणिक कुरीतियों, कुप्रथाओं तथा परम्पराओं से बद्ध जीवन का आलस्य छोड़कर स्फूर्ति प्राप्त की। आइये जानते हैं  
आर्य समाज  के 10 सिद्धांत | 10 Principles of arya samaj
आर्य समाज के 10 सिद्धांत हैं | 10 Principles of arya samaj
  1. सभी शक्ति और ज्ञान का प्रारंभिक कारण ईश्वर है।
  2. ईश्वर ही सर्व सत्य है, सर्व व्याप्त है, पवित्र है, सर्वज्ञ है, सर्वशक्तिमान है और सृष्टि का कारण है। केवल उसी की पूजा होनी चाहिए।
  3. वेद ही सच्चे ज्ञान ग्रंथ हैं।
  4. सत्य को ग्रहण करने और असत्य को त्यागने के लिए सदा तत्पर रहना चाहिए।
  5. उचित-अनुचित के विचार के बाद ही कार्य करना चाहिए।
  6. मनुष्य मात्र को शारीरिक, सामाजिक और आत्मिक उन्नति के लिए कार्य करना चाहिए।
  7. प्रत्येक के प्रति न्याय, प्रेम और उसकी योग्यता के अनुसार व्यवहार करना चाहिए।
  8. ज्ञान की ज्योति फैलाकर अंधकार को दूर करना चाहिए।
  9. केवल अपनी उन्नति से संतुष्ट न होकर दूसरों की उन्नति के लिए भी यत्न करना चाहिए।
  10. समाज के कल्याण और समाज की उन्नति के लिए अपने मत तथा व्यक्तिगत बातों को त्याग देना चाहिए।
इनमें से प्रथम तीन सिद्धांत धार्मिक हैं और अंतिम सात नैतिक हैं। आगे चलकर व्यवहार के स्तर पर आर्य समाज में भी विचार-भेद पैदा हो गया। एक वर्ग 'दयानंद एंग्लो वैदिक कॉलेज' की विचारधारा की ओर चला और दूसरे ने 'गुरुकुल' की राह पकड़ी। यह उल्लेखनीय है कि देश के स्वतंत्रता-संग्राम में आर्य समाज ने संस्था के रूप में तो नहीं, पर सहसंस्था के अधिकांश प्रमुख सदस्यों ने व्यक्तिगत स्तर पर महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की।

Source : Wikipedia
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BTW बिट्टू टिक्की वाला के सतीराम यादव युवा कारोबारियों के लिए एक प्रेरणास्रोत और मिसाल हैं

दिल्ली के पीतमपुरा में चाट, टिकिया के एक ठेले से शुरुआत करके बिट्टू टिक्की वाला अब BTW नाम का Brand बन चुका है. आज Delhi NCR क्षेत्र में BTW के 14 से अधिक रेस्टोरेंट्स और स्टोर हैं. उत्तर प्रदेश के अयोध्या शहर में एक ट्यूटर सतीराम यादव कैसे इस Business में आये और इस मुकाम पर पहुंचे, आइये जानते हैं:
BTW बिट्टू टिक्की वाला के सतीराम यादव युवा कारोबारियों के लिए एक प्रेरणास्रोत और मिसाल हैं | Satiram Yadav of Bittu Tikki Wala is an inspiration and example for young businessmen:

अयोध्या शहर में गरीब बच्चों को Tuition देने वाले सतीराम यादव ‘मास्टरजी’ के नाम से प्रसिद्ध थे और लोग उनका सम्मान करते थे. अपना बिज़नस शुरू करने और कुछ बड़ा करने की उम्मीद लेकर सतीराम दिल्ली आये. सतीराम किसी बिज़नस फैमिली से नहीं थे, पर वो आत्मविश्वास और हिम्मत से भरपूर थे.

बीटीडब्लू का इतिहास लोकप्रिय रूप से "बिट्टू टिककीवाला" के रूप में जाना जाता है, यह बहुत ही रोचक और प्रेरक है।

प्रारंभ में उत्तर भारतीय सड़क व्यंजनों जैसे चाट, भल्ला, पापरी और टिककी को बेचने का विचार शुरू किया गया था और वह उन्हें जा रहा था। उनके कौशल तेज और गहरे मारा। उन्हें अब एक वफादार सहायक हाथ की आवश्यकता थी, इसलिए मास्टरजी ने अपने भतीजे श्री आर के यादव के साथ अपने व्यापार का विस्तार करने का फैसला किया

जिन्होंने सफलता की यात्रा में भी प्रवेश किया और साथ में चले गए। जीवन, समाज, वर्ग, धर्म, लिंग और जातीयता के सभी क्षेत्रों के लोग अपने मुंह से पानी के उत्पादों को पसंद करते हैं और प्रशंसा करते हैं। अपने समर्पण, ईमानदारी और खुद और उनके टीम प्रबंधन कौशल में अत्यधिक विश्वास ने उन्हें हर तरह से प्रेरित किया।

उनके कड़ी मेहनत और ईमानदारी ने कई तरह के दिमागी लोगों को आकर्षित किया जिन्होंने अपने व्यापार उद्यम को आशीर्वाद दिया। उनका कारोबार उछाल और सीमाओं में बढ़ गया। अब, अपने उत्पादों को मोबाइल हॉकर के रूप में बेचने के बजाय, उन्हें अपना व्यवसाय स्थापित करने के लिए एक दुकान मिली। उन्होंने 1 99 1 में रानी बाग बाजार में अपनी पहली दुकान खोली।

उन्होंने अपनी ईमानदारी और सादगी के साथ लोगों का सम्मान अर्जित किया। कुछ सालों के भीतर, मास्टरजी की लोकप्रियता दूर और व्यापक हो गई। उनकी सफलता से उत्साहित उन्होंने अधिक आउटलेट खोले और नए फास्ट फूड, स्नैक्स और अब पूर्ण कैटरिंग में प्रवेश किया।

सतीराम के मन में उत्तर भारतीय Street food चाट, टिकिया, दही-भल्ले आदि की Shop खोलने आईडिया था. सतीराम यादव के सगे भांजे आर. के. यादव को टिक्की बनाने का तरीका आता था. सो सतीराम ने चाट, समोसे आदि का बिट्टू टिक्की वाला नाम से ठेला लगाना शुरू किया. लाजवाब स्वाद, बढ़िया क्वालिटी और ग्राहकों से बढिया व्यवहार की वजह से जल्द ही बिट्टू टिक्की वाला का नाम प्रसिद्ध होने लगा और लोग दूर दूर से उनकी दुकान पर आने लगे.

अपनी बढ़ती लोकप्रियता को देखकर दूरदर्शी सतीराम यादव ने BTW (Bittu Tikki Wala) ब्रांड नाम रजिस्टर्ड करवा लिया और वो रेस्टोरेंट फ्रैंचाइज़ी देने लगे. सन 1991 में उनका पहला रेस्टोरेंट दिल्ली के रानीबाग मार्किट में खुला. आज BTW के रिटेल चेन में 1200 से अधिक लोग रोजगार पा रहे हैं.

 पिछले 3 साल से BTW पैकेज्ड फ़ूड और कैटरिंग सेगमेंट में भी आ चुके हैं. BTW के नमकीन, रेडी टू ईट आइटम, मिठाइयाँ, मिनरल वाटर, गिफ्ट पैक, कुकीज़ के निर्माण के लिए सतीराम ने 50,000 स्क्वायर फीट क्षेत्रफल की एक मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाई है.

दिल्ली के सुभाषनगर में BTW का शानदार मार्केटिंग ऑफिस सतीराम की सफलता का प्रतीक है. आज बिट्टू टिक्की वाला के सफलता की कहानी MBA Colleges में case-study में पढाई जाती है. सतीराम यादव युवा कारोबारियों के लिए एक प्रेरणास्रोत और मिसाल हैं. सतीराम यादव के Success की यह यात्रा कड़ी मेहनत, आत्मविश्वास और लगन की कहानी है.

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पं० दीनदयाल उपाध्‍याय का जीवन परिचय | Biography of Pandit Deen Dayal Upadhyay


पं० दीनदयाल उपाध्याय जी (Pandit Deen Dayal Upadhyay ji) एक भारतीय विचारक, अर्थशाष्त्री, समाजशाष्त्री, इतिहासकार और पत्रकार थे उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के निर्माण में महत्वपूर्ण भागीदारी निभाई थी आइये जानते हैंं Biography of Pandit Deen Dayal Upadhyay in Hindi – पं० दीनदयाल उपाध्‍याय का जीवन परिचय
पं० दीनदयाल उपाध्‍याय का जीवन परिचय |Biography of Pandit Deen Dayal Upadhyay

⇒पं० दीनदयाल उपाध्याय(Pandit Deen Dayal Upadhyay ji) का जन्म 25 सितम्बर 1912 को जयपुर जिले के धानक्या ग्राम में हुआ था इनके पिता का नाम भगवती प्रसाद उपाध्याय(Bhagwati Prasad Upadhyay) और  माता रामप्यारी (Ram Pyari)धार्मिक वृत्ति की थीं
⇒पिता रेल्वे में जलेसर रोड स्टेशन पर सहायक स्टेशन मास्टर थे  रेल की नौकरी होने के कारण उनके पिता का अधिक समय बाहर ही बीतता था। कभी-कभी छुट्टी मिलने पर ही घर आते थे
⇒3 वर्ष की मासूम उम्र में दीनदयाल पिता के प्यार से वंचित हो गये। पति की मृत्यु से माँ रामप्यारी को अपना जीवन अंधकारमय लगने लगा। वे अत्यधिक बीमार रहने लगीं। उन्हें क्षय रोग लग गया।
8 अगस्त 1924 को रामप्यारी जी का देहावसान हो गया। 7 वर्ष की कोमल अवस्था में दीनदयाल माता-पिता के प्यार से वंचित हो गये।
पढ़ाई में बचपन ही तेज दीन दयाल हाई स्कूल के लिए राजस्थान के सीकर चले गए. सीकर के महाराज ने दीन दयाल को पढ़ाई के लिए किताबें खरीदने के लिए 250 रुपये और 10 रुपये के स्कॉलरशिप की व्यवस्था की 
यहां पर दीन दयाल उपाध्याय ने नानाजी देशमुख और भाऊ जुगाड़े के साथ पूरी तरह से आरएसएस के लिए काम किया.  अपने एक रिश्तेदार के कहने पर सरकारी नौकरी की परीक्षा में दीन दयाल बैठे और परिणाम आने पर वह चयनित  लोगों की वरीयता सूची में सबसे ऊपर थे. इसके बाद वह इलाहाबाद में बीटी करने चले गए. 
इलाहाबाद में भी वह आरएसएस के लिए काम करते रहे और यहां से वह 1955 में लखीमपुर चले गए जहां पर पूरी तरह आरएसएस के लिए समर्पित हो गए.
लखनऊ में पंडित दीन दयाल उपाध्याय ने राष्ट्र धर्म प्रकाशन की स्थापना की. यहां से पत्रिका राष्ट्र धर्म का प्रकाशन आरंभ किया. इसके बाद उन्होंने वर्तमान में आरएसएस का मुखपत्र पांचजन्य शुरू किया और इसके बाद स्वदेश नाम से एक पत्रिका का प्रकाशन आरंभ किया.
1950 में जब श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने नेहरू की कैबिनेट से इस्तीफा दिया. तब 21 सितंबर 1951 को पंडित दीन दयाल उपाध्याय ने यूपी में भारतीय जन संघ की स्थापना की थी.

पंडित दीन दयाल उपाध्याय ने डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी(DR. Shyama Prasad Mukherjee) से मिलकर 21 अक्टूबर 1951 को जन संघ का राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया. 1968 में वह जन संघ के अध्यक्ष बने. इसके कुछ ही समय में 11 फरवरी 1968 को उनका देहांत हो गया. 
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सर्वश्रेष्ठ 15 नये सुविचार – Best 15 New Thought

1.“किसी इंसान के बुरे वक़्त में उसका हाथ पकड़ो, उसे सहारा दो और हिम्मत दो, क्यूँकि बुरा वक़्त तो थोड़े समय में चला जायेगा, लेकिन वो आपको दुआ ज़िंदगी भर देते रहेगा।”

2.“मैं महान हूँ” यह आत्मविश्वास है लेकिन….
“सिर्फ मैं ही महान हूँ” यह अहंकार है!”
सर्वश्रेष्ठ 15 नये सुविचार – Best 15  New Thought

3.“किसी ने बिलकुल सही बात कही है की ….. मैं तुम्हें इसलिए सलाह नहीं दे रहा कि मैं ज़्यादा समझदार हूँ….
बल्कि इसलिए दे रहा हूँ कि मैंने ज़िंदगी में ग़लतियाँ तुमसे ज़्यादा की हैं।”

4.“लोग हमेशा कहते है तुम संघर्ष करो हम तुम्हारे साथ है। लेकिन अगर लोग सच में साथ होते तो संघर्ष की जरुरत ही नहीं पड़ती।”
5.“दुनिया में छोड़ने जैसा कुछ है तो, दुसरों को नीचे दिखाना छोड़ दो।”

6.“खुश रहने का मतलब ये नहीं कि जीवन में सब कुछ ठीक है, इसका मतलब ये है कि आपने आपके दुखों से उपर उठकर जीना सीख लिया है!”

7.“इंसान कितना भी सुंदर क्यों ना हो परंतु उसकी परछाई हमेशा काली होती है…!!”

8.“जैसे “अभिमान” की ताकत फरिश्तो को भी शैतान बना देती है। लेकिन “नम्रता” की ताकद मनुष्य को “फ़रिश्ता” बना देती है।”

9.“सत्य” बोलने से हमेशा ‘दिल’ साफ़ रहता हैं, “अच्छे काम” करने से हमेशा ‘मन’ साफ़ रहता हैं, “मेहनत” करने से हमेशा ‘दिमाग़’ साफ़ रहता हैं।”

10.“जिस इंसान ने कभी अपने जीवन में कभी गलती नहीं कि उसने अपने जीवन में कभी कुछ नया करने की कोशिश नहीं की!!”

11.“गुस्सा करते वक्त थोडा रुक जायें और गलती करते वक्त थोडा झुक जायें, देखियें आपकी सब समस्याये हल हो जायेगी…”

12.“ज़िंदगी में सिर्फ़ “शहद” ही ऐसा है जिसको कई दिनों बाद भी खाया जा सकता है ओर “शहद” जैसी मीठी बोली से लोगों के दिल में राज किया जा सकता है।”

13.“मुश्किलें तो हर किसी के जीवन में आती आती हैं इसलिए मुश्किलों से कभी हार नहीं माननी चाहिए बल्कि मुश्किलों का डटकर सामना कर आगे बढ़ना चाहियें।”

14.“हर एक इंसान अलग होता हैं इसलिए किसी भी तरह से ना तो और से अपनी तुलना करे और न तो किसी और जैसा बनने के लिए ख़ुद को खो दे।”

15.“मुश्किलें तो हर किसी के जीवन में आती आती हैं इसलिए मुश्किलों से कभी हार नहीं माननी चाहिए बल्कि मुश्किलों का डटकर सामना कर आगे बढ़ना चाहियें।”
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